Tuesday, January 22, 2019

Holiness in the Lord

Holy in heart

1 Thessalonians 3:13 

ताकि वह तुम्हारे मनों को ऐसा स्थिर करे, कि जब हमारा प्रभु यीशु अपने सब पवित्र लोगों के साथ आए, तो वे हमारे परमेश्वर और पिता के साम्हने पवित्रता में निर्दोष ठहरें॥

Holy in our calling

2 Timothy 1:9 

जिस ने हमारा उद्धार किया, और पवित्र बुलाहट से बुलाया, और यह हमारे कामों के अनुसार नहीं; पर अपनी मनसा और उस अनुग्रह के अनुसार है जो मसीह यीशु में सनातन से हम पर हुआ है।
Holy in our indwelling
2 Timothy 1:14 
और पवित्र आत्मा के द्वारा जो हम में बसा हुआ है, इस अच्छी थाती की रखवाली कर॥

Holy in our conversations

2 Peter 3:11 

तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए।

1 Peter 1:17 

और जब कि तुम, हे पिता, कह कर उस से प्रार्थना करते हो, जो बिना पक्षपात हर एक के काम के अनुसार न्याय करता है, तो अपने परदेशी होने का समय भय से बिताओ।

Psalm 46:10

“Be still, and know that I am God; I will be exalted among the nations, I will be exalted in the earth.”
History tells me it has been true! Faith trusts it will be true eternally! Reverent silences, a pause in the hectic rush of our lives, reminds us that it is true today.

Psalm 19:1-2

“The heavens declare the glory of God; the skies proclaim the work of his hands. Day after day they pour forth speech; night after night they display knowledge.”

God's voice is always speaking. His witnesses give testimony to his glory, majesty, and creative grace. The universe shouts with joy that behind its intricate beauty and paralyzing powers is the One who gave it life, purpose, and intention.

[Message No: 6795]

No comments:

Post a Comment

Post a Comment